2025 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50% टैरिफ का ऐलान किया, तो वैश्विक बाजार में हलचल मच गई। इस फैसले का मुख्य कारण रूस से तेल और सैन्य सामान खरीद को बताया गया, जिसपर पश्चिमी देशों की चिंता थी। लेकिन भारत ने न केवल इस चुनौती का जवाब दिया, बल्कि अपना व्यापार और भी नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।

अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर
- भारत की झींगा इंडस्ट्री और टेक्सटाइल निर्यातकों को अमेरिकी बाज़ार में फौरन नुकसान देखने को मिला।
- भारतीय कंपनियों को अमेरिका के अलावा नए मार्केट तलाशने पड़े; इसमें चीन, यूरोप, अफ्रीका प्रमुख रहे।
- कई सेक्टर में चीन को निर्यात 22% बढ़ा, खासतौर पर अप्रैल-सितंबर 2025 में भारतीय निर्यात 8.41 अरब डॉलर पहुंचा।
भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया: रणनीति और जुगाड़

भारत ने 24 देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत किए ताकि डॉलर की निर्भरता कम हो।रूस, UAE, सऊदी अरब जैसे देशों के साथ रुपये में व्यापार शुरू होने लगा।भारत ने EU, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में नए कारोबारियों व बाज़ारों का रुख किया।PLI स्कीम, मेक इन इंडिया और डाइवर्सिफिकेशन का बेहतरीन उपयोग किया।
भारत का कुल एक्सपोर्ट 2025 की आधी छमाही में 129.3 अरब डॉलर के आसपास पहुंच गया।अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बावजूद भारत ग्लोबल लेवल पर सबसे तेज़ ग्रोथ दिखाने वाली इकनॉमी बना रहा।आगे की राह: संभावनाएं और नया व्यापारिक समझौताताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही भारत-अमेरिका में नया ट्रेड डील फाइनल हो सकता है।टैरिफ संभवतः 50% से घटकर 15%-16% रह सकते हैं, जिससे व्यापार को नई मजबूती मिलेगी।भारत अब अमेरिका के खिलाफ रुका नहीं, बल्कि नई नीति और बाजारों के साथ तैयार है।ब्रिक्स, जापान जैसे देशों के समर्थन से रणनीतिक स्थिति और मजबूत हुई है।
2025 का टैरिफ वार सिर्फ एक द्विपक्षीय विवाद नहीं, बल्कि भारत के लिए पूरी दुनिया में नई आर्थिक आज़ादी का मौका बन गया। भारत की जमीनी रणनीति, बाजार डाइवर्सिफिकेशन और रुपया केंद्रित व्यापार ने अमेरिका की चाल को पलट दिया। आनेवाले समय में भारत-अमेरिका संबंध फिर से नए फेज़ में होंगे, लेकिन इस बार भारत और भी ज्यादा ताकतवर और आत्मनिर्भर बनकर उभरा है।
